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अपने को सुधारें कट्टर हिन्दुत्ववादी ओर आरएसएसपंथी!

पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, सहकार्यवाह भैय्याजी जोशी और कट्टर आरएसएसपंथी भाजपाई नेता मुरलीमनोहर जोशी सहित राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की प्रथम पंक्ति के नेता इस बात पर बुरी तरह कसमसा कर किलबिल रहे हैं कि केंद्र सरकार ने जैन समाज को अल्पसंख्यक का संवैधानिक दर्जा दिलवाने के लिये नोटिफिकेशन जारी कर दिया। राजस्थान में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ समर्थित भाजपा की वसुन्धरा राजे सरकार इस नोटिफिकेशन को दबा कर बैठ गई है और उस पर आगे कार्यवाही नहीं कर रही है।
हम जैन समुदाय को संवैधानिक अधिकार प्रदत्त करने वाले इस नोटिफिकेशन का विरोध करने वाले कट्टर हिन्दुत्ववादियों और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के आकाओं से सवाल करना चाहते हैं कि देश की सवा करोड़ की जनसंख्या में जैन समुदाय की आबादी पचास लाख से भी कम है। अब काली टोपी वाले ही बतायें कि सवा करोड़ अल्पसंख्यक हैं या फिर पचास लाख!
अब सवाल उठता है भैय्याजी जोशी के स्यापे का! जब राजस्थान के उदयपुर जिले के ऋषभदेव में केसरियानाथ मंदिर मुद्दे को लेकर हिन्दुओं ने कट्टर हिन्दुत्वादियों की रहनुमाई में जो मौत का तंड़व रचाया था और हजारों जैन परिवारों पर हमला कर उन्हें दो जून की रोटी के लिये मोहताज कर दिया था, तब भैय्याजी जोशी, मोहन भागवत, मुरली मनोहर जोशी सरीखे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और भाजपा के कद्दावर नेता कौन से बिल में घुस गये थे? आरएसएस का सम्मेलन उस वक्त उदयपुर में हो रहा था और राजस्थान में भाजपा की वसुन्धरा राजे सरकार का शासन था! फिर जैन समुदाय पर हिन्दुत्ववादियों के अत्याचारों पर किसी ने भी मुंह क्यों नहीं खोला था! कम से कम मगर के आंसू तो बहा लेते, ये हुजूर लोग! अब भी कई पीडि़त जैन परिवार मुआवजे की आस में बैठे हैं। अगर नैतिकता है तो केसरियानाथ मंदिर ट्रस्ट का प्रशासन सिर्फ जैन समुदाय के प्रशासनिक अफसरों के हाथ में सौंपो! है हिम्मत ऐसा करने की?
गुजरात में जैन समुदाय के पवित्र धार्मिक स्थल गिरिनारजी क्षेत्र में कट्टर हिन्दुत्वादियों के द्वारा किये गये अतिक्रमणों को हटाओ। ऐतिहासिक रूप से स्पष्ट हो गया है कि गिरनार (गिरीनार) क्षेत्र जैन शासकों का कर्म क्षेत्र रहा है और गुजरात में तो राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रचारक नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री हैं और अब तो वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी हैं। गिरिनार पर से अतिक्रमण क्यों नहीं हटाना चाहते हैं? जवाब दें!
गुजरात के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी की सरकार का गुजरात पर्यटन विभाग जैन समुदाय के अत्यन्त पावन और पवित्र स्थल  शत्रुंजय तीर्थ पर एक विज्ञापन फिल्म बनाने की तैयारी कर रहा है। विज्ञापन फिल्म बनाने की यह सरकारी नौटंकी जैन समुदाय का अपमान है। रूकवाओं उसे मोहन भागवत और भैय्याजी जोशी साहब!
वक्त है कि कट्टर हिन्दुत्ववादी और आरएसएसपंथी अपनी अतीत की करतूतों का पुर्नरावलोकन करें और जैन समुदाय पर किये गये और किये जा रहे कट्टर हिन्दुत्वादियों के अत्याचारों पर तत्काल अंकुश लगाने की तजबीज बैठायें!
इन्हें एक बात समझ लेनी चाहिये कि जैन संस्कृति भारत की प्राचीन संस्कृति है। आदिनाथ ऋषभदेव के प्रपौत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भरत खण्ड (अब भारत) पड़ा है। हिन्दुओं का तो तब भारत में कहीं अतापता भी नहीं था। मैसोपोटामिया में फूली-फली हिब्रू संस्कृति के पहिले विघटन से निकला है इण्डस रिलीजन (हिन्दू धर्म) और फिर हिब्रू संस्कृति के हुये क्रमश: विघटन से यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म अस्तित्व में अये हैं । जैन संस्कृति का हिन्दू धर्म से दूर तक का कोई रिश्ता नाता नहीं है। जैन समुदाय के लिये दु:खद स्थिति सिर्फ यही है कि कुछ जैन साधु-सन्यासियों की आड़ लेकर अपने आर्थिक-कारोबारी फायदे उठाने के लिये चुनिंदा पूंजीपतियों, जमाखोरों, कालाबाजारियों, मुनाफाखोरों, भू-माफियाओं ने जैन संस्थानों पर कब्जा कर जैन समुदाय का शोषण कर उसे नीचा दिखाने की अपनी साजिशों को अंजाम देने के लिये हिन्दुओं से सांठगांठ की और अब जैन समुदाय में सांस्कृतिक चेतना का धीरे-धीरे संचार हो रहा है तथा इन स्वार्थी सेठियों और इनके दुमछल्लों को समाज के नवयुवक उनकी कट्टर हिन्दुत्ववादियों से सांठगांठ को बेनकाब कर उनकी हकीकत भी उजागर करने के लिये कृतसंकल्प होते जा रहे हैं और जल्द ही इस जैन युवकों के संकल्पपूर्ण संघर्ष का परिणाम जैन समुदाय के सामने आना ही है।

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