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टैक्स चोरों की पो-बारह पच्चीस!

लेकिन इंकमटैक्स और कस्टम व एक्साइज विभाग का अमला सो रहा है आंखें बंद कर!

जयपुर (ओएनएस) जिन पर टैक्स चोरी पकडऩे की जुम्मेदारी है वे ही महकमें टैक्स चोरों को अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स चोरी में मदद करें तो फिर कोई क्या करे!
ऑल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक के राजस्थान स्टेट जनरल सेक्रेटरी कामरेड हीराचंद जैन ने यहां बताया कि जयपुर नगर निगम क्षेत्र और जयपुर विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में रीयल स्टेट के नाम पर सक्रिय भू-माफियाओं और बिल्डरों ने अपने कारोबार में कालेधन के करोड़ों रूपये खपा रखे हैं, लेकिन आयकर विभाग इन टैक्स चोरों पर हाथ डालने से कतरा रहा है।
कामरेड जैन ने बताया कि जयपुर नगर निगम के चार दिवारी क्षेत्र में लगभग 300 से ज्यादा अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स है। कुछ निर्माणाधीन हैं और कुछ में व्यवसायिक गतिविधियां चल रही है। जयपुर नगर निगम के अफसरों और कारकूनों का दावा है कि इन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों का कोई रेकार्ड नगर निगम में उपलब्ध नहीं है। लेकिन नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व, हवामहल जोन पश्चिम, विद्याधर नगर जोन और आमेर जोन में मौजूद रेकार्ड दर्शाता है कि ये अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स जयपुर नगर निगम के अफसरों की रहनुमाई में बने हैं।
सूत्रों की माने तो नगर निगम के अकेले चार दिवारी क्षेत्र में तीन सौ से ज्यादा कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों और व्यवसायिक निर्माणों में चार हजार से पांच हजार करोड़ रूपये का कालाधन (ब्लैकमनी) लगा हुआ। लेकिन इंकमटैक्स के आला अफसर इस कालेधन और टैक्स चोरों पर नकेल कसने में बिलकुल नाकाम साबित हो रहे हैं! यहां तक कि इंकमटैक्स विभाग टैक्स चोरों के नाम भी छुपाता है। ताकि अफसरों की मोटी कमाई हो सके।
उधर कस्टम और एक्साइज डिपार्टमेंट ने टैक्स चोरों को फायदा पहुंचाने के लिये सर्विस टैक्स जमा कराने के लिये पिछले साल एक स्कीम चलाई थी, जिसमें टैक्स चोरी के धन को किश्तों में जमा कराने की व्यवस्था की थी। वह स्कीम भी समाप्त हो गई, लेकिन आज भी सैंकड़ों भू-माफिया और बिल्डरों ने सर्विस टैक्स जमा नहीं करवाया है और विभाग उन पर कार्यवाही करने में बहानेबाजी कर कतरा रहा है।
अगर इंकमटैक्स और कस्टम एवं एक्साइज विभाग संयुक्त रूप से कार्यवाही करे तो सर्विस टैक्स चोरी और कालेधन के जखीरे पर सरकारी हथौडा मजबूती से पड़ सकता है। वहीं जयपुर नगर निगम को भी यूडी टैक्स एवं अन्य टैक्सों का दो हजार करोड़ रूपये से ज्यादा की बकाया वसूली हो सकती है।

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