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भारतीयों के 14,000 करोड़ रुपए स्विस बैंकों में!

नई दिल्‍ली (ओएनएस) स्विट्जरलैंड की बैंकिंग प्रणाली की चर्चित गोपनीयता के खिलाफ वैश्विक कदम उठाए जाने के बावजूद स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का धन बढ़ कर दो अरब स्विस फ्रांक (करीब 14,000 करोड़ रुपए) से अधिक हो गया है। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस नैशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा जारी ताजा आंकड़े के मुताबिक देश के बैंकों में 2013 के दौरान भारतीयों द्वारा जमा धन में 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2012 के अंत में वहां भारतीयों की 1.42 अरब स्विस फ्रांक की राशि जमा थी। इसके विपरीत अन्य विदेशी ग्राहकों द्वारा स्विस बैंकों में धन जमा में गिरावट जारी है। वर्ष 2013 के अंत में घट कर 1,320 अरब स्विस फ्रांक (करीब 1.560 अरब डालर या 90 लाख करोड़ रुपए से कुछ अधिक) के स्तर पर रही। यह इसके न्यूनतम स्तर का एक रिकार्ड है।
ज्ञातव्‍य रहे कि स्विस बैंक में भारतीयों का धन 2012 के दौरान एक तिहाई घटकर रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर चला गया था। स्विस बैंकों में 2013 के अंत में स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा धन में से 1.95 अरब स्विस फ्रांक भारतीय व्यक्तियों या इकाइयों ने सीधे जमा करा रखी थी जबकि 7.73 करोड़ स्विस फ्रांस संपत्ति प्रबंधकों के माध्यम से जमा कराया गया था। ज्यूरिख स्थित एसएनबी का यह ताजा आंकड़ा ऐसे समय में आया है जबकि स्विट्जरलैंड पर भारत और अन्य देशों से विदेशी ग्राहकों की जानकारी के आदान-प्रदान के संबंध में दबाव का सामना करना पड़ रहा है। ज्ञातव्‍य रहे कि भारतरीयों के देश विदेश में जमा कथित कालेधन के मामले की जांच के संबंध में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया जिसमें स्विट्जरलैंड जैसी जगहों पर जमा धन शामिल है। देश का अवाम लगातार कालेधन को देश में वापस लाने का सरकार पर दबाव बना रहा है।
ज्ञातव्‍य रहे कि देश के बडे उद्योगपतियों, कालेधन का लेनदेन व हवाला कारोबारियों का हिस्‍सा सबसे ज्‍यादा है और इन सभी से देश के राजनैतिक दल इन से मोटा चुनावी चंदा लेते रहे हैं, इस ही लिये वे इन को संरक्षण भी दे रहे हैं।

जमाखोरों, कालाबाजारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने का कारण बतायें मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे!

जयपुर (ओएनएस) आगामी 11 जुलाई से राजस्थान विधानसभा का बजट अधिवेशन शुरू होने जा रहा है। इससे पहिले 6 जुलाई, 2014 को लोकसभा का बजट अधिवेशन शुरू हो जायेगा। वहीं राज्य में मंहगाई की मार से जनता में त्राहि-त्राहि मंची है। लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सरकार अवाम की दु:ख तकलीफों को नजरन्दाज करने और प्रदेश के जमाखोरों, कालाबाजारियों, मुनाफाखोरों के खिलाफ कार्यवाही करने से बचने के लिये राज्य की राजधानी जयपुर से बीकानेर सम्भाग में पलायन कर गई है!
केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि मंहगाई राज्य सरकारों का विषय है और मंहगाई पर अंकुश लगाने के लिये राज्य सरकार ही प्रभावी कार्यवाही कर सकती है। इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार ने मंहगाई पर अंकुश लगाने के लिये राज्य सरकारों को चि_ी भी लिखी है!
दु:खद स्थिति यह है कि राजस्थान की वसुन्धरा राजे सरकार मंहगाई की मार से पीडि़त अवाम को राहत दिलाने हेतु अपने प्रशासनिक कार्यालयों में बैठ कर प्रशासनिक मशीनरी को चुस्त-दुरूस्त कर मंहगाई पर अंकुश लगाने और जमाखोरों, कालाबाजारियों और मुनाफाखोरों की लगाम कसने के बजाय पूरे प्रदेश की सरकारी मशीनरी को भगवान भरोसे छोड़ कर केवल बीकानेर सम्भाग में सैर सपाटे के लिये पहुंच गई हैं। पहिले वसुन्धरा राजे सरकार एक पखवाड़े तक राज्य की सरकारी मशीनरी को बेलगाम छोड़ कर भरतपुर सम्भाग में भटकती रही थी। लेकिन आज भी भरतपुर सम्भाग की प्रशासनिक मशीनरी जस की तस है। अब मैडम जी की सरकार बीकानेर सम्भाग के हालात सुधारने के लिये बीकानेर पहुंच गई है। बीकानेर सम्भाग के हालात सुधरें या ना सुधरें, यह तैय शुदा हकीकत है कि पूरे राजस्थान में प्रशासनिक मशीनरी निरंकुशित हो जायेगी! जमाखोरों, कालाबाजारियों, मुनाफाखोरों को सरकारी मशीनरी से तालमेल बैठा कर अवाम को लूटने की खुली छूट मिल जायेगी।
बिल्डर माफियाओं, भू-माफियाओं की भी पौ-बारह-पच्चीस हो जायेगी। सरकारी जमीनों पर कब्जा जमा कर लूट मचाने वाले भी निरंकुशित हो जायेंगे। प्रदेश की सरकारी मशीनरी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है। इन भ्रष्टाचाारी सरकारी अफसरों और कारिंदों पर सरकार का प्रशासनिक अंकुश ढीला होने के कारण बेलगाम अहलकार जनता को लूटने में जुट जायेंगे।
जब वसुन्धरा राजे सरकार बीकानेर सम्भाग से वापस जयपुर लौटेगी तब तक 11 जुलाई से राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र प्रारम्भ हो जायेगा और तब वसुन्धरा राजे सरकार यह कहेगी कि अभी बजट सत्र चल रहा है और प्राथमिकता से विधायी कार्य निपटाये जाने हैं। ऐसी हालत में मंहगाई, भ्रष्टाचार, भू-माफियाओं, बिल्डर माफियाओं, जमाखोरों, कालाबाजारियों, मुनाफाखोरों पर कार्यवाही करने का अभी सही वक्त नहीं है। दूसरे शब्दों में चुनाव जिताने में धन की थैलियां खोलने वाले इस तकबे पर अगर सरकारी हथौडा चलेगा, तो वसुन्धरा राजे सरकार की चूलें हिल जायेंगी!
जयपुर नगर निगम क्षेत्र में भू-माफियाओं और बिल्डर माफियाओं ने जो बिना इजाजत गैर कानूनी और अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स बनाये हुए हैं उनमें से ज्यादातर अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स या तो भाजपा पार्षदों व नेताओं के हैं या फिर उन बिल्डरों के हैं, जिनको भाजपा पार्षदों और नेताओं का वरदहस्त है।
ऑल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक के राजस्थान स्टेट जनरल सेक्रेटरी कामरेड हीराचंद जैन ने साफ शब्दों में राज्य की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से सवाल किया है कि जयपुर नगर निगम को भ्रष्टाचार में आकण्ठ डूबोने में मददगार भाजपा पार्षदों के खिलाफ कार्यवाही करने की उनमें हिम्मत क्यों नहीं है? अवाम में फैली चर्चाओं के अनुसार इन बिल्डरों से भाजपा पार्षदों और नेताओं ने मोटा चंदा-चि_ा विधानसभा और लोकसभा चुनावों में इकठ्ठा कर अवैध निर्माणों को प्रोत्साहन ही नहीं दिया, अपनी छत्रछाया में निर्माण भी करवाया है। भाजपाईयों द्वारा बटोरा गया माल आखीर गया कहां? क्या भाजपा के दफ्तरों में जमा हुआ या फिर उचन्ती में ही लापता हो गया!
कुछ भी हो, सवाल उठता है, जमाखोरों, कालाबाजारियों, मुनाफाखोरों, भू-माफियाओं, बिल्डर माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने में वसुन्धरा राजे सरकार क्यों हिचक रही है? क्या चुनावों में मोटा चंदे के चलते कार्यवाही नहीं हो रही है? या फिर कोई दूसरा कारण है! यदि हां तो वह कारण बतायें मैडम जी!

नास्तीवादी अधिनायकवादी सामन्तवाद!

देश के लगभग एक दर्जन राज्यपालों को अपने पद से इस्तीफा देने के लिये संकेत भिजवाये गये हैं। भारत गणतंत्र के राज्यों (प्रदेशों) में राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। दूसरे शब्दों में राज्यों में राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधी होते हैं। हालांकि राज्यपालों की नियुक्तियां केंद्र सरकार करती है और राष्ट्रपति उनकी औपचारिक स्वीकृति ही देते हैं।
लेकिन उनकी नियुक्ति होने के पश्चात राज्यपाल व्यवहारिक रूप से राष्ट्रपति के प्रतिनिधी होते हैं। चूंकि राज्यपालों की नियुक्तियां संवैधानिक प्रक्रिया है और केंद्र सरकार को राज्यपालों को हटाने या फिर बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है, ऐसे में किसी सरकारी अधिकारी के जरिये उन्हें अपने पद से इस्तीफा देने के लिये संदेश भिजवाना सीधे-सीधे राष्ट्रपति पद का अपमान करने की श्रेणी में आता है। सवाल यह भी उठता है कि राज्यपालों को किन कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा देने के लिये कहा जा रहा है!
ऐसा लगने लगा है कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार नास्तीवादी अधिनायकवादी सामन्तवादी रास्ते पर चल पड़ी है। दरअसल देश का अवाम आज मंहगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अफसरशाही की सामन्तवादी हरकतों से गहराई तक पीडि़त होता जा रहा है। अवाम को उम्मीद थी कि देश में सत्ता परिवर्तन के बाद जनसामन्य के अच्छे दिन आयेंगे! लेकिन केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के शुरूआती कामकाज ने ही अवाम की आशाओं को निराशाओं की ओर धकेलना शुरू कर दिया है। मंहगाई अजगर की तरह अवाम को अपने में लपेट कर नेस्तनाबूद करने पर तुली है और मोदी सरकार किंकर्तव्यमूढ़ एक कोने में खडी तमाशा देख रही है। भ्रष्टाचार खास कर सरकारी अफसरों के भ्रष्टाचार पर सरकार का कोई नियन्त्रण नहीं है। यहां तक कि राज्यों की भाजपाई सरकारें केंद्र सरकार के अनुशासन को पूरी तरह नजरन्दाज कर रही है। केंद्र की भाजपानीत नरेन्द्र मोदी सरकार को या फिर राज्यों की भाजपा सरकारें हो, सभी के मंत्री बयानबाजी से ऊपर उठ कर कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा लगने लगा है कि सत्ता में आने के बाद भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार और राज्य सरकारें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के नास्तीवादी हिन्दुत्वादी अधिनायकवाद को भारत गणतंत्र के अवाम पर थोपने के मिशन में जुटे हैं और उस अवाम को, जिसने उन्हें वोट देकर जिताया है, धीरे-धीरे भूलते जा रहे हैं! अब तो ऊपरवाला ही मालिक है अवाम का!

खरतरगच्छ संघ में यह क्या हो रहा है?

जयपुर (ओएनएस) श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ में संघ विधान की अनदेखी के मामले हमने पिछले दिनों उठाये थे और साफ किया था कि संघ के पदाधिकारी किस तरह संघ के उद्देश्यों की धज्जियां उठा रहे हैं!
हम ताजा एक मामला खरतरगच्छ समाज के सामने रख रहे हैं। खरतरगच्छ संघ विधान में साफ वर्णित है कि संघ के प्रत्येक सदस्य को संघ की कार्यवाही के बारे में जानकारी करने का अधिकार होगा। लेकिन श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के हालात यह हैं कि संघ की दैनिक कार्यवाही, जोकि गोपनीय श्रेणी की भी नहीं होती है, उसे भी अत्यन्त गोपनीय रखा जाता है, जैसे कि हिटलर की नात्सीवादी अधिनायकवादी कार्यप्रणाली को संघ के दफ्तर में लागू किया गया हो!
खरतरगच्छ जन चेतना मंच के प्रमुख कार्यकारी कार्यकर्ता हीराचंद जैन ने सवाल किया है कि श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के विधान की धारा-6 (4) में भी स्पष्ट लिखा है कि संघ की कार्यवाही के बारे में जानकारी करने का अधिकार होगा वहीं धारा-6 (6) में भी साफ लिखा है कि कोई भी सदस्य साधारण सभा द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव की अवहेलना नहीं करेगा।
अब खरतरगच्छ संघ के पदाधिकारी बतायें कि वे इन धाराओं का उलंघन क्यों कर रहे हैं? क्या खरतरगच्छ संघ उनकी बपौती है या फिर संघ के दफ्तर में हिटलरी राज चलता है? हम इस सम्बन्ध में विस्तार से आगे लिखेंगे।

OBJECT WEEKLY JAIPUR EDITION 19-6-2014

ऑब्जेक्ट जयपुर संस्करण दिनांक 19-6-2014
 
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