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अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों के निर्माण पर अंकुश के बारे में खुलासा करे चुनाव आयोग!

जयपुर (ओएनएस) भारत के निर्वाचन आयोग के स्पष्ट निर्देश हैं कि चुनावी कार्यों में लगने वाले या फिर चुनावों को प्रभावित करने वाले स्थान पर बैठे उन अफसरों और कर्मचारियों को जो कि तीन साल से अधिक समय से एक ही स्थान पर टिके हैं, उनका तत्काल तबादला किया जाये।
लेकिन चुनाव आयोग के आदेशों को दरकिनार कर जयपुर नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऐसे अफसरों और कर्मचारियों के तबादले करने से कतरा रहे हैं।
नतीजन बरसों से नगर निगम की कच्ची बस्ती प्रकोष्ठ और रेकार्ड शाखाओं में बैठे अफसर और कर्मचारी प्रशासन शहरों की ओर अभियान की आड़ लेकर समुदाय विशेष और राजनैतिक पार्टी विशेष से जुड़े लोगों के धडल्ले से नजराना लेकर काम कर रहे हैं। जबकि नजराना नहीं देने वाले गरीबों के काम अटकाये जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में ये अफसर और कर्मचारी मतदाताओं को प्रभावित करने की स्थिति में हैं।
उधर चुनाव आयोग के पेड न्यूज के बहाने छोटे और मझौले अखबारों पर तो नकेल कसने की कोशिश की है, लेकिन सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों ओर बिना इजाजत गैर कानूनी कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों के निर्माण पर चुनाव आयोग की कोई पाबंदी नहीं होने के कारण प्रदेश में खास कर प्रदेश की राजधानी जयपुर में अवैध बिना इजाजत कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों के निर्माण जोरशोर से शुरू हो गये हैं। राजनेताओं और नौकरशाहों की सरपरस्ती में अवैध रूप से बनाये जा रहे इन कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों के निर्माण हेतु वसूल किया जा रहा नजराना भी ज्यादातर चुनावों में कालेधन के रूप में ही काम आने वाला है। इस पर अंकुश कैसे और कौन लगायेगा? करे खुलासा चुनाव आयोग।

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