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नास्तीवादी अधिनायकवादी सामन्तवाद!

देश के लगभग एक दर्जन राज्यपालों को अपने पद से इस्तीफा देने के लिये संकेत भिजवाये गये हैं। भारत गणतंत्र के राज्यों (प्रदेशों) में राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। दूसरे शब्दों में राज्यों में राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधी होते हैं। हालांकि राज्यपालों की नियुक्तियां केंद्र सरकार करती है और राष्ट्रपति उनकी औपचारिक स्वीकृति ही देते हैं।
लेकिन उनकी नियुक्ति होने के पश्चात राज्यपाल व्यवहारिक रूप से राष्ट्रपति के प्रतिनिधी होते हैं। चूंकि राज्यपालों की नियुक्तियां संवैधानिक प्रक्रिया है और केंद्र सरकार को राज्यपालों को हटाने या फिर बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है, ऐसे में किसी सरकारी अधिकारी के जरिये उन्हें अपने पद से इस्तीफा देने के लिये संदेश भिजवाना सीधे-सीधे राष्ट्रपति पद का अपमान करने की श्रेणी में आता है। सवाल यह भी उठता है कि राज्यपालों को किन कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा देने के लिये कहा जा रहा है!
ऐसा लगने लगा है कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार नास्तीवादी अधिनायकवादी सामन्तवादी रास्ते पर चल पड़ी है। दरअसल देश का अवाम आज मंहगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अफसरशाही की सामन्तवादी हरकतों से गहराई तक पीडि़त होता जा रहा है। अवाम को उम्मीद थी कि देश में सत्ता परिवर्तन के बाद जनसामन्य के अच्छे दिन आयेंगे! लेकिन केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के शुरूआती कामकाज ने ही अवाम की आशाओं को निराशाओं की ओर धकेलना शुरू कर दिया है। मंहगाई अजगर की तरह अवाम को अपने में लपेट कर नेस्तनाबूद करने पर तुली है और मोदी सरकार किंकर्तव्यमूढ़ एक कोने में खडी तमाशा देख रही है। भ्रष्टाचार खास कर सरकारी अफसरों के भ्रष्टाचार पर सरकार का कोई नियन्त्रण नहीं है। यहां तक कि राज्यों की भाजपाई सरकारें केंद्र सरकार के अनुशासन को पूरी तरह नजरन्दाज कर रही है। केंद्र की भाजपानीत नरेन्द्र मोदी सरकार को या फिर राज्यों की भाजपा सरकारें हो, सभी के मंत्री बयानबाजी से ऊपर उठ कर कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा लगने लगा है कि सत्ता में आने के बाद भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार और राज्य सरकारें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के नास्तीवादी हिन्दुत्वादी अधिनायकवाद को भारत गणतंत्र के अवाम पर थोपने के मिशन में जुटे हैं और उस अवाम को, जिसने उन्हें वोट देकर जिताया है, धीरे-धीरे भूलते जा रहे हैं! अब तो ऊपरवाला ही मालिक है अवाम का!

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