जयपुर (ओएनएस) खरतरगच्छ संघ पर साम-दाम-दण्ड-भेद के जरिये कब्जा जमा कर घोटालों में लिप्त सेठियों और उनके चमचों की कलई दर-परत-दर अब खुलने लगी है! मारबल घोटाला हो, समग्र ओसवाल समाज की जमीन पर कब्जा कर दान-चंदे से बनाये गये होटल को राजमल अतिथि भवन का रूप देकर कब्जा जमा कर वहां व्यवसायिक गतिविधियां चलवाने का मामला हो, अनुसूचित जाति के गरीबों की जमीनों पर धर्म की आड़ में बिचौलियों के जरिये कब्जा करने का मामला हो या फिर सामाजिक संस्था को व्यवसायिक कम्पनी की तरह चलाने का मामला हो, श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ पर सांप की तरह कुण्डली जमाये बैठे इन सेठियों और इनके दुमछल्लों के पास समाज को लूटने-खसौटने के अलावा शायद कोई काम ही नहीं बचा है!
जुलाई माह में पर्वराज पर्युषण प्रारम्भ होने वाले हैं, लेकिन आज तक यह तैय नहीं हो पाया है कि शिवजीराम भवन-विचक्षण भवन में संघ कार्यकारिणी किन साधु-सन्त-साध्वी का चार्तुमास करवाने की तैयारी कर रही है। जहां तक चर्चाओं का दौर है, चर्चा है कि साध्वी शशिप्रभा अपना चार्तुमास जयपुर महानगर के जवाहर नगर उपनगर में करेंगी और सम्भवत: उनकी शिष्याऐं मोतीडूंगरी दादाबाडी (श्रीमाल सभा) और खरतरगच्छ संघ मुख्यालय शिवजीराम भवन में चार्तुमास कार्यक्रम सम्पन्न करवायेंगी!
हास्यास्पद स्थिति है कि श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ में तो अभी तक चार्तुमास समिति का गठन भी नहीं हुआ है। आगामी 07 मई बुद्धवार को आने वाले पर्व परम पूज्य उपाध्याय सुखसागर का देवलोक गमन दिवस, अभिनन्दन स्वामी का मोक्ष कल्याणक और सुमतिनाथ जी का जन्म कल्याणक कार्यक्रम सम्पन्न करवाने की भी कोई कार्ययोजना आज तक संघ कार्यालय में नजर नहीं आई है। आखीर क्यों? हकीकत में होना यह चाहिये कि समाज में जो भी कार्यक्रम आयोजित होने वाले हों, उनका पूरा प्रचार-प्रसार होना चाहिये और जो पर्चे निमन्त्रण पत्र छपवाये जायें वे समाज के सदस्यों तक ही नहीं समाज के हर तकबे तक पहुंचने चाहिये! लेकिन हो यह रहा है कि दो-पांच सौ पर्चे छपते हैं, कुछ मंदिरों-धार्मिक स्थानों पर सौ पचास पर्चे रख दिये जाते हैं और मोटी छपाई का बिल बन जाता है। पदाधिकारी कुछ करते नहीं, मैनेजर/सहायक मैनेजर के बूते पर संघ के क्रिया कलाप चलते हैं।
और ऐसा हो भी क्यों नहीं? खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष कुशलचंद सुराना को जमीन घोटाले, मारबल घोटाले, समाज की जमीनों पर बेनामी कब्जा कर अपने पुरखों के साइनबोर्ड लगाने से फुरसत मिले तब ही तो समाज में सामाजिक गतिविधियों का संचालन हो!
अभी तो भगवान सुमतिनाथ दीक्षा कल्याणक, भगवान विमलनाथ का च्यवन कल्याणक, अजितनाथजी का च्यवन कल्याणक सहित अगले जुलाई माह, पर्युषण पर्व प्रारम्भ होने से पहिले कई धार्मिक कार्यक्रम सम्पन्न किये जाने हैं। लेकिन इस हेतु किसी भी पदाधिकारी को परवाह नहीं है। पिछले साल भी पूरे चार्तुमास विचक्षण भवन और शिवजीराम भवन में घुप्प शांति छाई रही। क्या इस बार भी संघ पर कुण्डली जमाये बैठे सेठियों और उनकी जमात का इरादा पिछली बार की तरह रहेगा।
अभी भी समय है और संघ पदाधिकारियों को चेत जाना चाहिये!
जुलाई माह में पर्वराज पर्युषण प्रारम्भ होने वाले हैं, लेकिन आज तक यह तैय नहीं हो पाया है कि शिवजीराम भवन-विचक्षण भवन में संघ कार्यकारिणी किन साधु-सन्त-साध्वी का चार्तुमास करवाने की तैयारी कर रही है। जहां तक चर्चाओं का दौर है, चर्चा है कि साध्वी शशिप्रभा अपना चार्तुमास जयपुर महानगर के जवाहर नगर उपनगर में करेंगी और सम्भवत: उनकी शिष्याऐं मोतीडूंगरी दादाबाडी (श्रीमाल सभा) और खरतरगच्छ संघ मुख्यालय शिवजीराम भवन में चार्तुमास कार्यक्रम सम्पन्न करवायेंगी!
हास्यास्पद स्थिति है कि श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ में तो अभी तक चार्तुमास समिति का गठन भी नहीं हुआ है। आगामी 07 मई बुद्धवार को आने वाले पर्व परम पूज्य उपाध्याय सुखसागर का देवलोक गमन दिवस, अभिनन्दन स्वामी का मोक्ष कल्याणक और सुमतिनाथ जी का जन्म कल्याणक कार्यक्रम सम्पन्न करवाने की भी कोई कार्ययोजना आज तक संघ कार्यालय में नजर नहीं आई है। आखीर क्यों? हकीकत में होना यह चाहिये कि समाज में जो भी कार्यक्रम आयोजित होने वाले हों, उनका पूरा प्रचार-प्रसार होना चाहिये और जो पर्चे निमन्त्रण पत्र छपवाये जायें वे समाज के सदस्यों तक ही नहीं समाज के हर तकबे तक पहुंचने चाहिये! लेकिन हो यह रहा है कि दो-पांच सौ पर्चे छपते हैं, कुछ मंदिरों-धार्मिक स्थानों पर सौ पचास पर्चे रख दिये जाते हैं और मोटी छपाई का बिल बन जाता है। पदाधिकारी कुछ करते नहीं, मैनेजर/सहायक मैनेजर के बूते पर संघ के क्रिया कलाप चलते हैं।
और ऐसा हो भी क्यों नहीं? खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष कुशलचंद सुराना को जमीन घोटाले, मारबल घोटाले, समाज की जमीनों पर बेनामी कब्जा कर अपने पुरखों के साइनबोर्ड लगाने से फुरसत मिले तब ही तो समाज में सामाजिक गतिविधियों का संचालन हो!
अभी तो भगवान सुमतिनाथ दीक्षा कल्याणक, भगवान विमलनाथ का च्यवन कल्याणक, अजितनाथजी का च्यवन कल्याणक सहित अगले जुलाई माह, पर्युषण पर्व प्रारम्भ होने से पहिले कई धार्मिक कार्यक्रम सम्पन्न किये जाने हैं। लेकिन इस हेतु किसी भी पदाधिकारी को परवाह नहीं है। पिछले साल भी पूरे चार्तुमास विचक्षण भवन और शिवजीराम भवन में घुप्प शांति छाई रही। क्या इस बार भी संघ पर कुण्डली जमाये बैठे सेठियों और उनकी जमात का इरादा पिछली बार की तरह रहेगा।
अभी भी समय है और संघ पदाधिकारियों को चेत जाना चाहिये!