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सरकार और जनता में हो सकती है आमने-सामने की टक्कर!

जयपुर (ओएनएस) आज 17 अप्रेल गुरूवार को लोकसभा 2014 का देश में पांचवे चरण और राजस्थान में पहिले चरण का मतदान हो रहा है। राजस्थान में दूसरे चरण का मतदान आगामी 24 अप्रेल को होगा! 16 मई, 2014 को चुनावी नतीजे भी आने शुरू हो जायेंगे।
राजस्थान की वसुन्धरा राजे सरकार की 60 दिवसीय कार्ययोजना तो फ्लाप-शो हो ही चुकी है और वसुन्धरा राजे सरकार ने वादा किया था कि लोकसभा चुनाव के बाद वह जनता के दु:ख तकलीफों का निराकरण करेगी।
हम याद दिला दें कि जब वसुन्धरा राजे सरकार ने राजस्थान में सत्ता की कमान सम्भाली थी, तब चीनी खुदरा बाजार में 30 रूपये किलो से नीचे थी। आज जमाखोरों-कालाबाजारियों, मुनाफाखोरों की करतूतों के चलते चीनी 40 रूपये किलो पार कर चुकी है।
लेकिन इसे राज्य की जनता का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि जमाखोरों, कालाबाजारियों और मुनाफाखोरों के खिलाफ वर्तमान विधानसभा के पहिले सत्र में ही अपनी मनमर्जी का कानून पास करवाने के बावजूद भाजपानीत वसुन्धरा राजे सरकार ने अपने पिछले 100 दिन से अधिक के कार्यकाल में एक भी जमाखोर, कालाबाजारिये और मुनाफाखोर के खिलाफ कार्यवाही नहीं की है और अवाम को यह दिलासा देती रही कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के मिशन-25 को सफल बनाओ और चुनावों के बाद वे जनता की समस्याओं पर ध्यान देंगी।
जनता द्वारा भारी बहुमत के साथ चुनिंदा सरकार की जनता की समस्याओं के निराकरण के लिये जो रूख अपनाया गया वह अपने आप में निहायत ही बेतुका है। अवाम भी भौचक्का है कि उसने जिस तरह के भरी बहुमत से भाजपा की सरकार बनवाई, उस सरकार ने अभी से ही उसे नजरन्दाज करना शुरू कर दिया है।
जमाखोरों, कालाबाजारियों और मुनाफाखोरों से निपटने के लिये राजस्थान सरकार अच्छे और सख्त कानूनों से लैस है और अगर वह अपनी इच्छा शक्ति दर्शाये तो समाज के इन दुश्मनों जमाखोरों, कालाबाजारियों और मुनाफाखोरों को सख्त सबक सीखा सकती है। लेकिन भाजपा के लिये चुनावी चंदा इकठ्ठा करने और नरेन्द्र मोदी को जिताने के चक्कर में राजस्थान की भाजपानीत सरकार की मुखिया शायद अवाम को भूल गई है।
एक बात साफ होती जा रही है कि भाजपानीत राजस्थान की वसुन्धरा राजे सरकार अगर अवाम की पीड़ा दूर करने में विफल रहती है तो राज्य में असंतोष भड़केगा और नास्तीवादी, सामन्तवादी, हिन्दुत्ववादी सोच की सरकार और अवाम आमने-सामने होने की स्थिति में आ सकते हैं!

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