जयपुर (ओएनएस) अवाम में यह आम चर्चा है का विषय बनता जा रहा है कि जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पश्चिम के आयुक्त मदन कुमार शर्मा के अधिकार क्षेत्र वाले क्षेत्र में गैरकानूनी बिना नगर निगम की इजाजत के हो रहे निर्माण कार्यों में भारी इजाफे के पीछे कारण क्या है? चर्चा इस मुद्दे पर भी जोरशोर से हो रही है कि जयपुर नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लालचंद असवाल के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद जोन आयुक्त मदन कुमार शर्मा गैरकानूनी बिना इजाजत हो गये या हो रहे अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे है?
हवामहल जोन पश्चिम आयुक्त मदन कुमार शर्मा की जानकारी में होते हुए भी जोन के चौकडी मोदीखाना में पंडि़त शिवदीन के रास्ते में जैन मंदिर के पास 250 वर्ष पुराने गोपालजी महाराज मंदिर परिसर में मंदिर और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर जोन के अफसरों-कारिंदों से सांठगांठ कर चार मंजिला अवैध निर्माण कर लिया गया और इस दौरान मात्र नोटिस देकर मामले को रफादफा करने की कोशिश की गई है! आखिर क्यों? जबकि कानूनन अवैध निर्माणकर्ता के खिलाफ नगर पालिका अधिनिमय की धारा 194 (7एफ)(10) एवं 245(1)(3) सहित अन्य धाराओं में सक्षम कार्यवाही की जानी चाहिये थी। ज्ञातव्य रहे कि गत दिनों जोन आयुक्त मदन कुमार शर्मा ने इस मंदिर का निरीक्षण भी किया था
जैसा कि हमने ऑब्जेक्ट के गत अंकों में साया किया था कि अगर इस हेतु जुम्मेदार अफसर और कारिंदे कोई कोताही बर्ते तो नगर पालिका अधिनियम की धारा 194 (10जी) एवं धारा 245(18) के तहत नगर निगम के दोषी अफसरों और कारिंदों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिये थी। इसमें आखीर क्यों कोताही बर्ती जा रही है, यह तो जोन आयुक्त मदन कुमार शर्मा ही सही तरीके से बता सकते है।
हवामहल जोन पश्चिम के अफसरों और कारिंदों की कार्यप्रणाली पर ऊंगली इसलिये भी उठ रही है कि इस सम्बन्ध में आयुक्त सतर्कता, जयपुर नगर निगम से भी कार्यवाही करने हेतु पत्र और नोटशीट भेजी गई, लेकिन जोन स्तर पर अफसर और कर्मचारी इन्हें भी दबा कर बैठ गये और कार्यवाही करने में हीलहवाला कर रहे हैं। क्या जयपुर को हैरीटेज सिटी बनाने की इस ही तरह मशक्कत की जायेगी? क्या धार्मिक स्थलों की सुरक्षा प्रशासन इस तरह अवैध निर्माण के जरिये करेगा?
अवैध निर्माण के लिये भ्रष्ट आचरण का एक ओर उदाहरण है इस ही जोन में चौकडी मोदीखाना के म्युनिसिपल भवन संख्या 1170, सकड़ी गली, चौड़ा रास्ता सरण फाइल संख्या 2/2066 दिनांक 15 जून, 2009 में आवासीय निर्माण के लिये स्वीकृति वर्ष 2008 में जारी हुई थी। निर्माण के लिये जयपुर नगर निगम द्वारा जारी स्वीकृति में साफ-साफ लिखा है कि यह स्वीकृति सिर्फआवासीय प्रयोजनार्थ है। आवासीय भवन निर्माण की स्वीकृति भी महेन्द्र सिंह पुत्र मक्खन सिंह व अन्यों को दी गई थी। तत्पश्चात उक्त भवन म्युनिसिपल संख्या 1170, सकडी गली, नाटाणियों का रास्ता, चौकडी मोदीखाना को सत्यनारायण अग्रवाल, गिरधारीलाल और मनोज गुप्ता ने खरीद लिया। जयपुर नगर निगम में उक्त मकान का नाम स्थान्तरण विधिवत शुल्क जमा करा कर नियमानुसार आज तक नहीं करवाया गया। यही नहीं आज इस भवन के अधिकांश हिस्से में कॉमर्शियल गतिविधियां संचालित की जा रही है। लेकिन नगर निगम के हवामहल जोन पश्चिम के अफसरों और कारिंदों की मिलीभगत से भवन मालिकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही है।
आम अवाम को छोटी-छोटी कमियों की आड़ में निगम के चक्कर लगवाने वाले अधिकारी बतायें कि स्थापित कानूनों का साफ-साफ उलंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने से कौन रोक रहा है। या फिर भ्रष्टाचार के आगे सब नतमस्तक हैं!
हवामहल जोन पश्चिम आयुक्त मदन कुमार शर्मा की जानकारी में होते हुए भी जोन के चौकडी मोदीखाना में पंडि़त शिवदीन के रास्ते में जैन मंदिर के पास 250 वर्ष पुराने गोपालजी महाराज मंदिर परिसर में मंदिर और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर जोन के अफसरों-कारिंदों से सांठगांठ कर चार मंजिला अवैध निर्माण कर लिया गया और इस दौरान मात्र नोटिस देकर मामले को रफादफा करने की कोशिश की गई है! आखिर क्यों? जबकि कानूनन अवैध निर्माणकर्ता के खिलाफ नगर पालिका अधिनिमय की धारा 194 (7एफ)(10) एवं 245(1)(3) सहित अन्य धाराओं में सक्षम कार्यवाही की जानी चाहिये थी। ज्ञातव्य रहे कि गत दिनों जोन आयुक्त मदन कुमार शर्मा ने इस मंदिर का निरीक्षण भी किया था
जैसा कि हमने ऑब्जेक्ट के गत अंकों में साया किया था कि अगर इस हेतु जुम्मेदार अफसर और कारिंदे कोई कोताही बर्ते तो नगर पालिका अधिनियम की धारा 194 (10जी) एवं धारा 245(18) के तहत नगर निगम के दोषी अफसरों और कारिंदों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिये थी। इसमें आखीर क्यों कोताही बर्ती जा रही है, यह तो जोन आयुक्त मदन कुमार शर्मा ही सही तरीके से बता सकते है।
हवामहल जोन पश्चिम के अफसरों और कारिंदों की कार्यप्रणाली पर ऊंगली इसलिये भी उठ रही है कि इस सम्बन्ध में आयुक्त सतर्कता, जयपुर नगर निगम से भी कार्यवाही करने हेतु पत्र और नोटशीट भेजी गई, लेकिन जोन स्तर पर अफसर और कर्मचारी इन्हें भी दबा कर बैठ गये और कार्यवाही करने में हीलहवाला कर रहे हैं। क्या जयपुर को हैरीटेज सिटी बनाने की इस ही तरह मशक्कत की जायेगी? क्या धार्मिक स्थलों की सुरक्षा प्रशासन इस तरह अवैध निर्माण के जरिये करेगा?
अवैध निर्माण के लिये भ्रष्ट आचरण का एक ओर उदाहरण है इस ही जोन में चौकडी मोदीखाना के म्युनिसिपल भवन संख्या 1170, सकड़ी गली, चौड़ा रास्ता सरण फाइल संख्या 2/2066 दिनांक 15 जून, 2009 में आवासीय निर्माण के लिये स्वीकृति वर्ष 2008 में जारी हुई थी। निर्माण के लिये जयपुर नगर निगम द्वारा जारी स्वीकृति में साफ-साफ लिखा है कि यह स्वीकृति सिर्फआवासीय प्रयोजनार्थ है। आवासीय भवन निर्माण की स्वीकृति भी महेन्द्र सिंह पुत्र मक्खन सिंह व अन्यों को दी गई थी। तत्पश्चात उक्त भवन म्युनिसिपल संख्या 1170, सकडी गली, नाटाणियों का रास्ता, चौकडी मोदीखाना को सत्यनारायण अग्रवाल, गिरधारीलाल और मनोज गुप्ता ने खरीद लिया। जयपुर नगर निगम में उक्त मकान का नाम स्थान्तरण विधिवत शुल्क जमा करा कर नियमानुसार आज तक नहीं करवाया गया। यही नहीं आज इस भवन के अधिकांश हिस्से में कॉमर्शियल गतिविधियां संचालित की जा रही है। लेकिन नगर निगम के हवामहल जोन पश्चिम के अफसरों और कारिंदों की मिलीभगत से भवन मालिकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही है।
आम अवाम को छोटी-छोटी कमियों की आड़ में निगम के चक्कर लगवाने वाले अधिकारी बतायें कि स्थापित कानूनों का साफ-साफ उलंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने से कौन रोक रहा है। या फिर भ्रष्टाचार के आगे सब नतमस्तक हैं!